ख्वाब
- Bhagyesh Kadu
- Sep 8, 2020
- 1 min read
कुछ तो देखा था कहीपे,
आँखों मे यू बस गया!
ख्वाब था या चेहरा बस,
अधूरा रह गया!
नजरे मिली नही थी कभी,
बस कशमकश हुई !
मिटने ही वाली थी पलके,
पर नींद खुल गई!
मौसम मिलन का यू बीत गया
लम्हा था अधूरा बस अब ख्वाब बन गया!
अभी भी खोज रहे थे तुम्हे
पर अब तुम नही बस ख्वाब आते है!
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